Tuesday, August 27, 2019

मध्यप्रदेश के संभाग व मध्य प्रदेश की अंतर राज्य सीमा( इंटर स्टेट बाउंड्री ऑफ़ मध्य प्रदेश)

मध्यप्रदेश के संभाग

नमस्कार दोस्तों आज हम मध्य प्रदेश के सभी संभागों का अध्ययन करेंगे तथा इसके अंतर्गत आने वाले जिलों के बारे में भी चर्चा करेंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने प्रशासन सुविधा की दृष्टि से मध्य प्रदेश के जिलों को 10 संभागों में बांटा गया है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 52 जिले तथा 10 संभाग हैं इन संभागो  का विस्तृत विवरण इस प्रकार है।
1. जबलपुर संभाग:- जबलपुर संभाग मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग है  इसका मुख्यालय जबलपुर में  है।इसके अंतर्गत 8 जिले आते हैं जबलपुर संभाग क्षेत्रफल व जनसंख्या दोनों की दृष्टि से सबसेे बड़ा संभाग है इस संभाग के 8 जिले इस प्रकार हैं
(1)जबलपुर (2)कटनी, (3)नरसिंहपुर (4)छिंदवाड़ा, (5)सिवनी, (6)बालाघाट, (7)मंडला (8)डिंडोरी।
2. इंदौर संभाग:- इंदौर संभाग मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा संभाग है। इसका मुख्यालय इंदौर में ही है इसके अंतर्गत 8 जिलेेे आते हैं वेे जिले इस  प्रकार हैं।
(1)इंदौर (2)धार(3)बड़वानी(4)खंडवा(5)अलीराजपुर((6))खरगोन (7)बुरहानपुर (8)झाबुआ।
3. ग्वालियर संभाग:- ग्वालियर संभाग का मुख्यालय ग्वालियर मे है। ग्वालियर अपने आप में एक जिला भी है। इसके अंतर्गत 05 जिले आते हैंं वे इस प्रकार हैं। 
(1)ग्वालियर(2) शिवपुरी(3) दतिया (4)गुना (5)अशोकनगर।
 4.रीवा संभाग:-इसका मुख्यालय रीवा जिले में है। संभाग में सर्वाधिक जलप्रपात पाए जाते हैं इस संभाग के अंतर्गत 4 जिले आते हैं वे इस प्रकार हैं।
(1)रीवा(2) सतना(3) सीधी(4) सिंगरौली।
5.उज्जैन संभाग:- इस संभाग का मुख्यालय उज्जैन में है इसके अंतर्गत 7 जिलेेे आते हैं  वे जिले इस प्रकार हैं ।
(1)उज्जैन (2)देवास(3) शाजापुर (4)आगर(5) रतलाम (6)मंदसौर (7)नीमच।
 6.सागर संभाग:- इस संभाग का मुख्यालय सागर में है इस संभाग के अंतर्गत 6 जिले आते हैं वह  जिलेेे इस प्रकार हैं ।
(1)सागर(2) दमोह(3) छतरपुर (4)टीकमगढ़ (5)पन्ना (6)निवाड़ी   ( निवाड़ी जिला मध्य प्रदेश का सबसे नवीनतम जिला है यह अक्टूबर 2018 को बना था यह टीकमगढ़ से जिले से अलग होकर मध्यप्रदेश का 52 वा जिला बना है यह जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि में मध्य प्रदेश का सबसे छोटा जिला है)।
7. चंबल संभाग:- इस संभाग का मुख्यालय मुरैना में है इसके अंतर्गत 3 जिले आते हैं। वे जिले  इस प्रकार हैं।
 (1)मुरैना (2)भिंण्ड(3) श्योपुर। 
8. नर्मदा पुरम संभाग:- इसका मुख्यालय होशंगाबाद में है इसके अंतर्गत 3 जिले आते हैं अगस्त 2008 में होशंगाबाद संभाग का नाम बदलकर नर्मदा पुरम रख दिया गया था इसके अंतर्गत आने वाले जिले इस प्रकार हैं।
(1)होशंगाबाद (2)हरदा(3) बैतूल।
9. भोपाल संभाग:- इसका मुख्यालय भोपाल में है इसके अंतर्गत 5 जिले आते हैं वे जिन्हें इस प्रकार हैं।
(1)भोपाल(2) सीहोर (3)रायसेन(4) राजगढ़ (5)विदिशा ।
10. शहडोल संभाग:- यह संभाग सबसे नया संभाग है इसका मुख्यालय शहडोल में है यह वर्ष 2008 में बना था इसके अंतर्गत 3 जिले आते हैं 
(1)शहडोल(2) उमरिया(3) अनूपपुर।

 मध्य प्रदेश की अंतर राज्य सीमाएं 

           
मध्य प्रदेश के जिले मध्य प्रदेश की अंतर राज्य सीमाएं
           सभी दोस्तों से निवेदन है कि वे मध्यप्रदेश के अध्ययन करते समय मध्य प्रदेश का जिलों का मानचित्र अपने सामने अवश्य रखें तथा उसके सटीक अध्ययन अवश्य करें यह आपके तैयारी में एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित होगी।
                                        मध्य प्रदेश का वर्तमान स्वरूप अपने आसपास के 5 राज्यों के साथ सीमा साझा करता है वह राज्य इस प्रकार हैं 
(1)राजस्थान(2) उत्तर प्रदेश(3) छत्तीसगढ़ (4)गुजरात (5)महाराष्ट्र।
              मध्यप्रदेश के कौन-कौन से जिले किस राज्य के साथ सीमा बनाते हैं इसका विवरण इस प्रकार है।
(1) राजस्थान:-  मध्य प्रदेश के 10 जिले राजस्थान के साथ सीमा बनाते हैं वे जिले इस प्रकार हैं
 झाबुआ ,रतलाम, मंदसौर ,नीमच, आगर, राजगढ़ ,श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना ,गुना।
(2) उत्तर प्रदेश:- मध्य प्रदेश राज्य के 14 जिले उत्तर प्रदेश के साथ सीमा साझा करते हैं वे जिले इस प्रकार हैं।
 मुरैना ,भिंड, दतिया ,शिवपुरी, अशोकनगर ,सागर ,टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, पन्ना ,सतना, रीवा ,सीधी, सिंगरौली।
(3) छत्तीसगढ़:- मध्यप्रदेश राज्य के 6 जिले छत्तीसगढ़ राज्य के साथ सीमा बनाते हैं।
 सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी ,बालाघाट।
(4) गुजरात:-मध्य प्रदेश राज्य के 2 जिले में गुजरात राज्य के साथ सीमा साझा करते हैं यह जिले  इस प्रकार हैं ।
झाबुआ, अलीराजपुर।
(5)  महाराष्ट्र:- मध्यप्रदेश राज्य के 9 जिले महाराष्ट्र के साथ सीमा साझा करते हैं यह जिले  इस प्रकार हैं
अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, बैतूल ,छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, खंडवा।

      मध्यप्रदेश के कौन से जिले किस राज्य के साथ सबसे लंबी सीमा बनाते हैं वे इस प्रकार हैं

(1) नीमच:-नीमच जिला राजस्थान के साथ सबसे बड़ी सीमा बनाता है।
(2) अलीराजपुर:- अलीराजपुर जिला गुजरात के साथ सबसे लंबी सीमा बनाता है।
(3)  बैतूल:- यह जिला महाराष्ट्र के साथ सबसे लंबी सीमा बनाता है
(4) अनुपपुर:- यह जिला छत्तीसगढ़ के साथ सबसे लंबी सीमा बनाता है।
(5) उत्तर प्रदेश:- उत्तर प्रदेश के साथ सबसे लंबी सीमा छतरपुर जिला बनाता है निवाड़ी जिला बनने से पहले टीकमगढ़ जिला उत्तर प्रदेश के साथ सबसे लंबी सीमा बनाता था।
                      वर्तमान में मध्य प्रदेश सबसे लंबी सीमा उत्तर प्रदेश के साथ व सबसे छोटी सीमा राजस्थान के साथ बनाता है मध्य प्रदेश का सबसे निकटतम बंदरगाह मुंबई है।

Thursday, August 22, 2019

मध्य प्रदेश राज्य के जिलों का पुनर्गठन व राज्य का विभाजन

 मध्य प्रदेश का आंतरिक पुनर्गठन व राज्य का विभाजन

                          हेलो दोस्तों आज हम 01 Nov 1956 में बने मध्य प्रदेश राज्य  बनने के बाद किस तरह से मध्य प्रदेश में अन्य जिलों का गठन हुआ तथा  किस तरह मध्य प्रदेश का विभाजन हुआ था। इस बात की  चर्चा करेंगे। मध्य प्रदेश राज्य के 1 नवंबर 1956 में गठित होने के समय इसमें 43 जिले व 8 संभाग थे, बनने के कुछ वर्षों बाद ही मध्यप्रदेश में आंतरिक जिलों का पुनर्गठन प्रारंभ हो जाता है।  इनका  पुनर्गठन इस प्रकार है।


1. प्रथम पुनर्गठन  मध्य प्रदेश राज्य का प्रथम आंतरिक पुनर्गठन 26 जनवरी 1972 को हुआ था। इसके अंतर्गत दो नए जिलों का गठन हुआ था प्रथम जिला भोपाल था जो सीहोर जिले की तहसील थी तथा दूसरा जिला राजनांदगांव बना जो दुर्ग जिले से अलग होकर बना था भोपाल मध्य प्रदेश के गठन के समय मध्य प्रदेश की राजधानी  बनी तथा वर्ष 1972 में इसे जिले का दर्जा मिला अब वर्ष के अंत तक मध्यप्रदेश में जिलों की संख्या 43 से बढ़कर  45 हो जाती है। वर्ष 1980 में एक नए संभाग चंबल संभाग का गठन होता है।

2. दूसरा पुनर्गठन  25 मई 1998 में जिलों के गठन के लिए बी. आर. दुबे समिति का गठन होता है यह समिति 10 नए जिलों  के गठन की बात करती है लेकिन कुछ क्षेत्रीय विवाद उत्पन्न होने के कारण जुलाई 1998 में ही एक और समिति सिंह देव समिति का गठन किया गया और इसने 6 और नए जिलों के गठन की बात की अतः जिलों की संख्या मध्यप्रदेश में बढ़कर 45 से 61 हो जाती है  यह नये 16 जिले इस प्रकार थे। 

(1)श्योपुर मुरैना जिले से अलग होता है
(2) कटनी यह जबलपुर जिले से अलग होता है 
(3)बड़वानी यह खरगोन जिले से अलग होता है 
(4)डिंडोरी यह मंडला जिले से अलग होता है 
(5)उमरिया यह शहडोल जिले से अलग होता है 
(6)हरदा यह  होशंगाबाद जिले से अलग होता है
(7)नीमच यह मंदसौर जिले से अलग होता है 
                              उपरोक्त जिले वर्तमान मध्यप्रदेश में शामिल हैं बचे हुए 9 जिले  मध्य प्रदेश विभाजन के बाद बने छत्तीसगढ़़ राज्य मे चले जाते हैं।
          वह 9 जिले इस प्रकार हैं जो छत्तीसगढ़ राज्य में चले जाते हैं।
(8) कोरिया यह सरगुजा जिले से अलग होता है 
(9) जशपुर यह भी सरगुजा जिले से अलग होता है
(10) कोरबा यह बिलासपुर जिले से अलग होता है
(11) महसमुंद यह बिलासपुर जिले से अलग होता है
(12)धमतरी यह रायपुर जिले से अलग होता है
(13) जांजगीर-चांपा यह भी बिलासपुर जिले से अलग होता है (14)कनकेर यह रायपुर जिले से अलग होता है 
(15)दंतेवाडा यह बस्तर जिले से अलग होता है 
(16)कवर्धा यह राजनांदगांव जिले से  अलग होता है

मध्य प्रदेश का विभाजन

            वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश के दक्षिण पूर्वी का लगभग 30.47% हिस्सा अलग होकर भारत का एक नया राज्य छत्तीसगढ़ बनता है । इस विभाजन के फलस्वरूप मध्य प्रदेश का स्थान क्षेत्रफल की दृष्टि में प्रथम स्थान से फिसल कर राजस्थान के बाद द्वितीय स्थान पर आ जाता है मध्य प्रदेश के विभाजन से मध्य प्रदेश के 16 जिले मध्य प्रदेश से पृथक होकर छत्तीसगढ़ राज्य में चले जाते हैं तब 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश का एक नया स्वरूप अस्तित्व में आता है। जिसमें जिलों की कुल संख्या 45 और 9 संभाग होते हैं यह विभाजन प्रदेश में प्रशासनिक कुशलता लाने के लिए किया गया था।


             
मध्यप्रदेश और उसके जिले

3.  तीसरा पुनर्गठन 

                     15 अगस्त 2003 में मध्य प्रदेश में 03 नए जिलों का गठन होता है यह जिले इस प्रकार हैं

(1)अनूपपुर यह जिला शहडोल जिले से अलग होकर बनता है (2)अशोकनगर यह जिला गुना से अलग होकर बनता है 
(3)बुरहानपुर यह जिला खंडवा से अलग होकर बनता है 
                    अतः इन  जिलों के बनने के बाद मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 45 से बढ़कर 48 हो जाती है।

4. चौथा पुनर्गठन  

                     मई 2008 में मध्य प्रदेश में पुनः 02 नए जिलों का गठन है यह जिले इस प्रकार  हैं।

(1) अलीराजपुर यह जिला झाबुआ से अलग होकर बनता है अलीराजपुर जिला मध्य प्रदेश का सबसे पश्चिमी जिला कहलाता है वर्तमान में अलीराजपुर जिले का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद नगर रख दिया गया है क्योंकि अलीराजपुर शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म स्थान है।
(2) सिंगरौली नाम का दूसरा जिला बनता है जो सीधी जिले से अलग होता है सिंगरौली मध्य प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला है
                  अतः इन जिलों के बनने के बाद मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 48 से बढ़कर 50 हो जाती है।

5. पांचवा पुनर्गठन 

                               16 अगस्त 2013 को मध्यप्रदेश में 01 और नए जिले का गठन होता है यह जिला शाजापुर से अलग होकर बनता है इस जिले का नाम आगर जिला है। अब मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 50 से बढ़कर 51 हो जाती है। 

6. छठवां पुनर्गठन

                            वर्ष 2018 में शिवराज सिंह चौहान ने 1 नए जिले निवाड़ी के गठन की बात कही और अक्टूबर 2018 को टीकमगढ़ की तहसील निवाड़ी को मध्यप्रदेश का 52 वा जिला बना दिया गया अब मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 51 से बढ़कर 52 हो जाती है अतः वर्तमान में मध्यप्रदेश में जिलों की संख्या 52 हैं। वे जिले इस प्रकार हैं
 मुरैना, श्योपुर, भिंण्ड, ग्वालियर ,दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़, शाजापुर, आगर, सीहोर,देवास, हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, खंण्डवा, बुरहानपुर, खरगोन, इंदौर, बड़वानी, अलीराजपुर, धार ,झाबुआ ,उज्जैन, रतलाम , मंदसौर ,नीमच, रायसेन ,नरसिंहपुर ,छिंदवाड़ा, सिवनी, मंण्डला, बालाघाट ,जबलपुर ,दमोह ,सागर ,छत्तरपुर ,टीकमगढ़ निवाड़ी, पन्ना ,कटनी, सतना ,उमरिया, डिंण्डोरी ,शहडोल, अनूपपुर, रीवा, सिंधी, सिंगरौली जिले हैं। 

Monday, August 19, 2019

Chief Of Defence Staff

Chief Of Defence Staff (CDS) 

                               हाल ही के 73वे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2019 के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने दिल्ली के लाल किले से अपने भाषण के दौरान Chief of defence staff (CDS)  पद के जल्द से जल्द गठन करने की घोषणा की है। यह पद तीनों सेनाओं इंडियन आर्मी, इंडियन एयरफोर्स, इंडियन नेवी को एक प्रभाव कारी नेतृत्व प्रदान करेगा


चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद क्या है( what is Chief of Defence staff ):- सीडीएस पद तीनों सेनाओं के सेना प्रमुखों के ऊपर का पद होगा जो देश के प्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्री के लिए महत्वपूर्ण रक्षा और राजनीतिक मुद्दों पर सलाहकार की भूमिका निभाएगा तथा तीनों सेनाओं के लॉजिस्टिक, प्रशिक्षण, तथा रक्षा खरीद के लिए भी सलाह देगा अर्थात यह एक सिंगल पॉइंट ऑफ एडवाइजरी का कार्य करेगा।

                        यह पहली बार नहीं है। कि जब सीडीएस(CDS) का पद बनाया जा रहा हो। पूर्व उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री रह चुके, लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में के. सुब्रमण्यम समिति द्वारा भी 1999 के कारगिल युद्ध के  बाद लगभग, 20 वर्ष पहले इस पद के लिए विचार किया गया था। लेकिन तीनों सेनाओं के बीच राजनीतिक सहमति ना होने पर यह कार्य आगे ना बढ़ सका।
                         वर्ष 2012 में नरेश समिति में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी(Chief of staff committee ) के एक स्थाई सदस्य की नियुक्ति की सिफारिश की थी। यह तीनों  सेनाओं के सेना प्रमुख में जो अधिकारी सबसे वरिष्ठ( as per length of service) होता है। उसे इस पद का अध्यक्ष बनाया जाता है। वर्तमान में तीनों सेनाओं प्रमुखों  में सबसे वरिष्ठ अधिकारी  वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोवा है। वह चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) के अध्यक्ष हैं। वह 30 सितंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके बाद अगले वरिष्ठ अधिकारी आर्मी प्रमुख जनरल बिपिन रावत  होंगे।
   
Chief of Army, Airforce, Navy

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद के लाभ:-  

*भारत एक  nuclear state है सीडीएस सरकार को न्यूक्लीयर हथियारों के इस्तेमाल व रखरखाव में सलाहकार का काम भी करेगा।
* आपातकालीन स्थिति में तीनों सेनाएं मिलकर कार्य करेंगे।
* आंतरिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष सुरक्षा,  इंटेलिजेंस, प्रबंधन इत्यादि का सुनियोजित तरीके से क्रियान्वयन किया जा सकेगा।
* एक ही तकनीक को तीनों सेनाओं को अलग-अलग खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
* मतभेद होने पर तीनों सेनाऐं मिलकर बात को आसानी से सुलझाया जा सकेगा तथा सेना  एकता का प्रतीक होगी।
* तीनों सेनाओं को एक दृष्टि से समान व प्रभावशाली नेतृत्व मिलेगा।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद की कमियां/हानियां:-

* सेनाओं की आंतरिक कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है तथा अपने तरीके से क्रियान्वित कर सकता है।
* सेना के लिए वित्त बजट की कटौती करवा सकता है।
*  सीडीएस पद का कार्यकाल कितना होगा तथा इसके पदाधिकारी की रैंक तीनों सेना प्रमुख के समतुल्य या उसके ऊपर होगी, यह अभी तक तय नहीं हो सका है।
* जवाबदेही व उत्तरदायित्व किसके प्रति होगा।
* अधिकार क्या क्या होंगे।
* तीनों सेनाओं के स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होगी।
                        किंतु यदि समय लेकर उचित कार्य प्रणाली अपनाते हुए इस पद का गठन किया जाता है तो सफलतापूर्वक पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कार्य किया जा सकता है। विभिन्न देशों में इस पद को अपनाया गया है। अमेरिका में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी ,चीन  में पांंच एरिया कमांड है। अतः  वर्तमान को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद का गठन जरूरी है। क्योंकि आज केेे समय  में युद्ध जल, थल व वायु से बढ़कर साइबर, अंतरिक्ष ,नाभिकीय क्षेत्र में भी अपना दायरा बढ़ा  चुका है।ऐसी कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों से निपटने के लिए एकीकृत सेना  व्यवस्था का होना भविष्य में एक मील का पत्थर साबित होगा।

Saturday, August 17, 2019

मध्य प्रदेश की प्रारंभिक स्थिति और उसका गठन

नमस्कार दोस्तों आज हम मध्य प्रदेश की प्रारंभिक स्थिति अर्थात मध्य प्रदेश के गठन के पूर्व मध्य प्रदेश की संरचना और उसकी स्थिति क्या थी,इस पर चर्चा करेंगे। हम जानते हैं कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। आजादी के समय और आजादी के पहले तक मध्य प्रदेश का नामो-निशान नहीं था। इस मध्य प्रदेश नाम का कोई भी राज्य नहीं था। आज हम मध्य प्रदेश की संरचना कैसे बनी और कब बनी तथा इस में किस तरह से परिवर्तन हुए इस बात की चर्चा करेंगे। 
                    आजादी से पूर्व भोपाल एक रियासत हुआ करती थी। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम,1947 (Indian Independence Act, 1947) अनुसार सभी रियासतों के  राजाओं पर, भारत या पाकिस्तान के साथ जुड़ने अथवा स्वतंत्र रहने की जिम्मेदारी थी। मार्च 1948 में भोपाल के नवाब ने अपने आप को स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई, जिसके विरोध में दिसंबर 1948 में आंदोलन हुए और आंदोलन के दौरान डाॅ.शंकर दयाल शर्मा और अन्य आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 8 माह की सजा सुनाई गई। बाद में 30 अप्रैल 1949 को भोपाल के नवाब ने भारत के साथ विलय पत्र (Instrument of accession) पर हस्ताक्षर कर दिए। 1 जून 1949 से भोपाल भारतीय संघ का हिस्सा बन जाता है। और इसे भाग-ग स्टेट्स में शामिल कर लिया जाता है।
                    स्वतंत्रता के पश्चात संविधान द्वारा  वर्ष 1950 में भारतीय संघ के 29 स्टेट्स को चार भागों में बांट दिया जाता है यह चार भाग इस प्रकार थे और इनके  स्टेट इस प्रकार थे।
 भाग-(क):- इसके अंतर्गत असम, बिहार ,बॉम्बे,मध्य प्रांत और बरार क्षेत्र, मद्रास, उड़ीसा, पूर्वी पंजाब, संयुक्त प्रांत और बंगाल क्षेत्र शामिल था।
 भाग-(ख):- इसके अंतर्गत हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर ,मध्य भारत, मैसूर, पटियाला और पूर्वी पंजाब संघ, राजस्थान, सौराष्ट्र, त्रावणकोर, और कोचीन क्षेत्र शामिल थे।
भाग-(ग):-  इसके अंतर्गत अजमेर, भोपाल, बिलासपुर, कूर्ग, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर त्रिपुरा विंध्य प्रदेश,कच्छ क्षेत्र शामिल थे।
भाग-(घ) :- इसके अंतर्गत अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्र  आते थे।
                           1947 से 1956 के बीच मध्य प्रदेश के गठन में 29 स्टेट्स के चार भागों में से तीन भागों के 3 स्टेट से मिलकर बना था।
                     
मध्य प्रदेश स्टेट 

State-A:- इसके अंतर्गत बघेलखंड, छत्तीसगढ़, सीपी और बरार क्षेत्र ( Central provinces and Berar area) शामिल थे। इसमें बरार व सीपी क्षेत्र भारत मेंं वह प्रांत थे। जो अंग्रेजों द्वारा मुगलों और मराठों से जीतेेे गए थे। और जिन पर तत्कालीन भारत में अंग्रेजों का राज था। State-A को ही मध्य प्रदेश का नाम दिया गया था। तथा इसकी राजधानी नागपुर थी। मध्यप्रदेश के प्रमुख पंडित रविशंकर शुक्ल थे। इन्हें  ही मध्य प्रदेश का प्रथम मुख्यमंत्री भी कहा जाता है तथा डॉ. पट्टाभी सीतारामय्या मध्य प्रदेश के पहलेेे राज्यपाल थे। यह मध्य प्रदेश क्षेत्र संविधान द्वारा वर्गीकृत भारतीय संघ के 29 स्टेट के भाग-(क) के अंतर्गत आता था।
                      
मध्य भारत स्टेट


State-B:- इसके अंतर्गत पश्चिम-मध्य भारत की कुल 25 रियासतें शामिल थी इसे मध्य भारत नाम से जाना जाता था। इसकी राजधानी सर्दी के दिनों में  06 महीने के लिए ग्वालियर और ग्रीष्म ऋतु में 6 महीने के लिए इंदौर रहती थी। मध्य भारत के  प्रमुख लीलाधर सेठ थे। यह क्षेत्र संविधाान द्वारा वर्गीकृत भारतीय संघ केे 29 स्टेट्स के  भाग-(ख)  में आता था।


                           

विंध्य प्रदेश स्टेट
भोपाल स्टेट 

State-C:- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1948 में उत्तर भारत की कुछ रियासतों  तथा मध्य प्रदेश क्षेत्र की कुछ रियासतों को मिलाकर विंध्यप्रदेश का निर्माण किया गया था इसमें भोपाल स्टेट भी शामिल था विंध्य प्रदेश के अंतर्गत 38 रियासतें आती थी इसकी राजधानी रीवा थी। विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पंडित शंभूनाथ शुक्ल थे। यह क्षेत्र संविधान द्वारा वर्गीकृत 29 स्टेट्स के भाग-ग के अंतर्गत आता था।

               फजल अली आयोग की सिफारिश के अनुसार, भारत सरकार  द्वारा मध्य प्रदेश का भाषाई आधार पर गठन के लिए कई सारे महत्वपूर्ण परिवर्तन किए जाते हैं।
(1) State-A के अंतर्गत आने वाले  क्षेत्र ,भंडारा ,नागपुर, वर्धा,यवतमाल ,अमरावती, अकोला, बुलढाणा और चाँदा जिले,जो पहले मध्य प्रदेश  क्षेत्र के अंतर्गत आते थे,को तत्कालीन  बाॅम्बे स्टेट में मिला दिया जाता है क्योंकि इन  क्षेत्रों में अधिकांश भाषा मराठी बोली जाती थी।
(2) State-B, इसे मध्य भारत के नाम से जाना जाता था ।इसके एक जिले मंदसौर की भानपुर तहसील के 'सुनेल टप्पा' नामक क्षेत्र को राजस्थान के साथ जोड़ दिया जाता है ।तथा शेष क्षेत्र को मध्य प्रदेश में जोड़ दिया जाता है। तथा राजस्थान के  कोटा जिले की एक तहसील  'सिरोज'को मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के साथ जोड़ दिया जाता है।
(3)State-C के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र भोपाल और विंध्य प्रदेश  का पूरा क्षेत्र मध्य प्रदेश के साथ मिला दिया जाता है।
                      1 नवंबर 1956 को 14 राज्यों का गठन कर दिया गया। इसी परिवर्तन अर्थात राज्यों के पुनर्गठन के अंतर्गत 1 नवंबर 1956 को ही मध्य प्रदेश का नया स्वरूप अस्तित्व में आया।  मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी विधानसभा तथा राजधानी के रूप में भोपाल को चुना जाता है। मध्य प्रदेश राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी और बरार, मध्य भारत,विंध्य प्रदेश तथा भोपाल राज्य को मिला कर किया जाता है। बताया जाता है कि भोपाल को मध्य प्रदेश से जोड़ने व राजधानी बनाने में पंडित शंकर दयाल शर्मा और प्रथम गृह मंत्री बल्लभ भाई पटेल का अहम योगदान रहा था। भोपाल को राजधानी बनाने के बाद वर्ष 1972 में इसे जिले का दर्जा भी प्रदान किया गया। मध्य प्रदेश के गठन के समय मध्य प्रदेश में कुल 43 जिले थे। बाद में आंतरिक परिवर्तन के पश्चात मध्यप्रदेश में कुछ अन्य जिलों का भी निर्माण किया गया। आज मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले हैं।
   
                          

Thursday, August 15, 2019

मध्य प्रदेश का गठन

नमस्कार दोस्तों आज हम मध्य प्रदेश का गठन कैसे हुआ इस बात पर चर्चा करेंगे हम सभी जानते हैं कि आजादी से पूर्व हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था कितने वीर सिपाहियों, क्रांतिकारियों, देशभक्तों, समाज सेवकों और नेताओं के कठिन प्रयासो से हमें आजादी मिली थी
         आजादी से पहले या बाद  मध्य प्रदेश की संरचना कैसी थी आज हम इस का अध्ययन करेंगे। वर्ष 1947 आजादी के समय भारत की प्रशासनिक इकाइयां दो भागों में विभाजित थी।
(क) ब्रिटिश प्रांत:-  यह  वे प्रांत थे जो आजादी के बाद भी अंग्रेजों   के अधीन थे क्योंकि देश आजाद होनेे के बाद भी कई वर्षों तक हमारेे देश के कई प्रांतों पर अंग्रेजों का राज था।
(ख) देसी रियासतें ( प्रांत):-   यह वे प्रांत थे जिनका शासन स्वदेशी राजा के अधिकार में था। किंतुु उनका प्रशासनिक देखरेख व  निर्णय अभी भी अंग्रेजों द्वारा नियंत्रित किए जा रहे थे।अंग्रेज वहांं के राजा को जैसा करने के लिए बोलते थे  राजा को अपने राज्य में वैसा ही करना पड़ता था ।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (Indian Independence Act,  1947):-   यह अधिनियम ब्रिटिश पार्लिमेंट(United Kingdom)  द्वारा पारित वह कानून है जिसके अनुसार ब्रिटिश  द्वारा शासित भारत का दो भागों भारत और पाकिस्तान में विभाजन किया गया। यह अधिनियम 18 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया । और 15 अगस्त1947 को भारत का बंटवारा भारत और पाकिस्तान के रूप में हो जाता है। ब्रिटिश सरकार द्वारा सर रेडक्लिफ की अध्यक्षता में दो आयोगों का  गठन किया गया । जिनका कार्य विभाजन की देखरेेख करना और भारत और पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओंं का निर्धारण करना था।
सर रेडक्लिफ की अध्यक्षता के कारण ही भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतरराष्ट्रीय रेखा को रेडक्लिफ लाइन के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्रता के समय भारत में लगभग 565 छोटी बड़ी रियासतें थी।माउंटबेटन के प्रस्ताव के अनुसार रियासतें या तो भारत में शामिल हो सकती हैं या पाकिस्तान में शामिल हो सकती है या स्वतंत्र रह सकती है। भारत के तत्कालीन तथा प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देसी  रियासत को भारत के साथ मिलाने के लिए कठोर नीति अपनाई और 15 अगस्त 1947 तक कुछ अपवाद को  छोड़कर (जम्मू-कश्मीर ,जूनागढ़ और हैदराबाद) सभी रियासतों भारत में  विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके शामिल हो चुकी थी ।तत्कालीन भारत में गोवा राज्य पर  पुर्तगालियों तथा  पांडिचेरी पर  फ्रांसीसीयो का अधिकार था।
            15 अगस्त 1947 को भारत के  आजाद होने के बाद सभी देशी रियासत मिलकर एक भारतीय राष्ट्रीय संघ का निर्माण करती है।
                तत्पश्चात देश को एक दृढ़ नियम कानून व्यवस्था की जरूरत होती है। जिसके लिए एक संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 को किया जाता है संविधान सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 निश्चित की गई थी जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों  के प्रतिनिधि,4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि तथा 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
            संविधान सभा का चुनाव हुआ जिसमें 389 सदस्यों में से 296 सदस्यों का चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस को 208 सीटें, मुस्लिम लीग को 73 सीटें तथा 15 अन्य दलों के उम्मीदवारों का निर्वाचन होता है।
           9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक दिल्ली में होती है । 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई सदस्य चुना जाता है। मुस्लिम लीग ने संविधान सभा की बैठक का पूर्ण बहिष्कार किया और एक अलग देश पाकिस्तान के लिए बिल्कुल अलग संविधान सभा की मांग की। 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान के उद्देश्य प्रस्ताव के साथ संविधान सभा की कार्यवाही प्रारंभ हुई। 22 जनवरी 1947 को संविधान निर्माण के उद्देश्य प्रस्ताव की मंजूरी के बाद संविधान निर्माण के लिए अनेक समिति बनी, जिसमें प्रारूप समिति प्रमुख थी। इसमें कुल 7 सदस्य थे ,डॉ. भीमराव अंबेडकर समिति के अध्यक्ष थे अन्य सदस्य इस प्रकार हैं
1. एन गोपालस्वामी आयंगर
2. अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
3. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
4. सैयद मोहम्मद सादुल्ला
5. एन माधवराव
6. डी पी खेतान
7. डॉ भीमराव अंबेडकर( अध्यक्ष)
                         प्रारूप समिति  संविधान के प्रारूप पर चर्चा करके तथा विचार-विमर्श करने के बाद 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट सौंप देती है। संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान को पारित किया गया इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 2 वर्ष 11 महीने 17 दिन लगे तथा इस कार्य में  लगभग 6.4 करोड़ों रुपए खर्च हुए। 26 जनवरी 1950 से संविधान को देश में लागू किया गया। इसी कारण 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। साथ ही 24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को देश का प्रथम राष्ट्रपति चुना जाता है।
                        वर्ष 1950 के समय संविधान द्वारा भारतीय संघ के  राज्यों को प्रशासन प्रणाली के आधार पर चार भागों में बांट दिया जाता है उस समय कुल 29 राज्य थे।  तथा उनके  4 भाग इस प्रकार थे।
 भाग (क):-  इन राज्यों में  ब्रिटिश कालीन गवर्नर का शासन रहता था।
 भाग (ख):- इसमें 9 राज्य शामिल थे  इनका प्रशासन यहां का विधान मंडल व शाही शासन देखता था।
 भाग (ग) :- इनमें ब्रिटिश कालीन भारत के मुख्य आयुक्तोंं का शासन हुआ करता था।
भाग (घ) :- इसमें केंद्रीकृत शासन हुआ करता था जिसमें एक राज्य अंडमान निकोबार को शामिल किया गया था।
                         1947 में भारत पाकिस्तान के बंटवारे के पश्चात और देसी रियासतों के विलय के बाद हमारे देश भारत का शासन व प्रशासन सुचारू रूप से नहीं चल रहा था। देश में अजीब सी हलचल  हो रही थी। कोई भी प्रशासनिक इकाई स्थाई रूप से कार्यरत नहीं थी राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो इस संघ के राज्यों का गठन अस्थाई रूप से किया गया हो।
                          तत्पश्चात विभिन्न राज्यों में मुख्य तौर पर दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग उठाई गई। उनका कहना था कि मलयालम भाषी क्षेत्र को मिलाकर एक राज्य, तेलुगु भाषी क्षेत्र को मिलाकर एक राज्य ,इसी प्रकार अन्य राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन हो।
                                भारत सरकार ने जून 1948 को राज्यों के पुनर्गठन के लिए एक धर आयोग का गठन किया। राज्यों के पुनर्गठन के लिए यह प्रथम आयोग था इसका उद्देश्य राज्यों का भाषा आधार पर पुनर्गठन करना था इसके अध्यक्ष एस के धर थे ।      धर आयोग ने अपनी रिपोर्ट दिसंबर 1948 में पेश की। और रिपोर्ट में कहा कि राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर ना होकर प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि के आधार पर होना चाहिए। इस रिपोर्ट का संपूर्ण दक्षिण भारत में विरोध होता है। और आंदोलन होने लगते हैं ।इन आंदोलन से प्रभावित होकर भारत सरकार एक और समिति का निर्माण करती है जिसे जे.बी.पी समिति कहते हैं। यह समिति कांग्रेस द्वारा दिसंबर 1948 में बनााई जाती है इसके सदस्य जवाहरलाल नेहरू , बल्लभ भाई पटेल और पट्टाभी सीतारामय्या थे। इन्हींं के नाम पर इस समिति का नाम रखा गया था। इस समिति का उद्देश्यय भी राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन हो अथवा न  हो, इसकी जांच करना था। इस समिति ने अप्रैल 1949 को अपनी रिपोर्ट पेश की, और इसने भी भाषाई आधार पर राज्यों  के पुनर्गठन के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। जब दक्षिण भारत के लोगों को यह ज्ञात हुआ कि  समिति ने उनकी राज्यों के भाषाई आधार पर पुनर्गठन की मांग को अस्वीकार कर दिया है। तो एक क्रांति ने जन्म लिया और देश में आंदोलन होने लगे। दक्षिण भारत के जो तेलुगू भाषी लोग थे उनमें एक कांग्रेसी कार्यकर्ता पोट्टी श्रीरामुजु  ने आमरण अनशन किया और लगभग 56 दिनों की भूख हड़ताल के बाद उनकी मृत्युु हो जाती है। उनकी मृत्यु के कारण दक्षिण भारत के तेलुगु भाषी लोग और ज्यादा हिंसा पर उतर आतेे हैं। मजबूर होकर भारत सरकार Oct 1953 को भाषा के आधार पर एक राज्य आंध्र प्रदेश ( तेलुगू भाषी क्षेत्र ) का गठन कर देती है। वर्ष 1953 के बाद भाषा के आधार पर बने राज्य के गठन के पश्चात अन्य भाषाओंं के लोगों में भी अपने राज्य के गठन की मांग  बढ़ जाती हैं। इस स्थिति को समझते हुए,  दिसंबर 1953 में फजल अली आयोग का गठन किया। इसके अध्यक्ष फजल अली थे ।तथा अन्य दो सदस्य हृदयनाथ कुंजरू और के.एम. पणिक्कर थे।  इस आयोग ने वर्ष 1955 में अपनी रिपोर्ट पेश की और भाषाा के आधार पर राज्य के पुनर्गठन की मांग को स्वीकार किया। और सरकार को सलाह दी कि राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त कर  भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हो।  भारत सरकार ने भी कुछ शर्तों में कुुुछ बदलाव के साथ  समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। परिणाम स्वरूप 01 Nov 1956 को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन हुआ।
                         इन 14 राज्यों में एक  राज्य हमारा मध्यप्रदेश भी था इसका गठन भी 01 नवंबर 1956 को हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष 1 नवंबर को मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

Tuesday, August 13, 2019

मध्य प्रदेश की सामान्य बातें

                              



 ग्वालियर का किला



मध्यप्रदेश ज्ञान में मध्य प्रदेश से जुड़े हुए महत्वपूर्ण जानकारियों की चर्चा आज हम इस पोस्ट में करेंगे यह पोस्ट हमेशा अपडेट किया जाता है। तो Study करते रहिए और success  पाइए।

                मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 1 नवंबर 2000 के बाद से 308252 वर्ग किलोमीटर है वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश का दक्षिण पूर्वी हिस्से का विभाजन होता है और लगभग 30% हिस्सा अलग होकर छत्तीसगढ़ नामक भारत का 29 वा राज्य का उदय होता है विभाजन से पूर्व मध्य प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 443446 वर्ग किलोमीटर था इसी के साथ साथ मध्य प्रदेश सन 2000 से पहले क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रथम स्थान पर था किंतु विभाजन के बाद से यह क्षेत्रफल की दृष्टि में राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर है मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9.38% है तथा जनसंख्या की दृष्टि से 6% है।
*मध्य प्रदेश में कुल जिलों की संख्या- 52
*मध्य प्रदेश में कुल तहसीलों की संख्या- 370
*मध्य प्रदेश में कुल विकासखंडो की संख्या 313 है इनमें कुल आदिवासी विकास खंडों की संख्या 89 है
*मध्य प्रदेश में कुल गांव की संख्या 55343 है तथा इनमे आबादी      वाले गांव की संख्या 52143 है
* मध्य प्रदेश में कुल नगरों की संख्या- 476
*मध्य प्रदेश में कुल नगर निगमों की संख्या- 16 
*मध्य प्रदेश में कुल नगर पालिकाओं की संख्या- 100 
*मध्य प्रदेश में कुल नगर पंचायतों की संख्या -264 
*मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायतों की संख्या- 23040 
*मध्य प्रदेश में जनपद पंचायतों की संख्या -313
*मध्य प्रदेश में जिला पंचायतों की संख्या -52 
*मध्यप्रदेश में आईजी जोन-11
*मध्यप्रदेश में डीआईजी रेंज- 15
*मध्यप्रदेश में कंट्रोल रूम- 53
* मध्य प्रदेश में कुल पुलिस थाने-1035
* मध्य प्रदेश में कुल पुलिस चौकी-562
* मध्य प्रदेश में कुल पुलिस जिले-52
* मध्य प्रदेश मे  कुल लोकसभा सीट 29 है। इसमें 4 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 6 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहती हैं।
* मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कुल  सीटें 11 हैं। 

* मध्यप्रदेश की विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 231 है जिसमें 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए तथा 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रहती हैं और एक सीट राज्यपाल द्वारा विधानसभा के लिए  मनोनीत सदस्य के लिए होती है। बाकी बची हुई सीटें अनारक्षित वर्ग में आती हैं।
* मध्य प्रदेश का हाई कोर्ट जबलपुर में है लेकिन इसकी दो खंडपीठ है । एक ग्वालियर व एक इंदौर में है। अगर कोई व्यक्ति अपनी याचिका दायर करना चाहता है।तो वह जबलपुर के बजाय ग्वालियर या इंदौर में भी अपनी याचिका दायर कर सकता है।





Monday, August 12, 2019

मध्य प्रदेश के कुछ रोचक तथ्य

                   मध्य प्रदेश के कुछ रोचक तथ्य


                         



मध्य प्रदेश राज्य का जन्म 1 नवंबर 1956 को हुआ था। चूँकि मध्य प्रदेश भारत के मध्य में स्थित है। इसलिए इसे हृदय प्रदेश भी कहते हैं। मध्य प्रदेश का नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था। मध्य प्रदेश के कुछ अन्य नाम जैसे कि "सोया स्टेट" , "नदियों का मायका" नाम है।चूँकि  मध्य प्रदेश में सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन होता है इसलिए यह राज्य सोयाबीन के उत्पादन में अग्रणी है। इस कारण इसे "सोया स्टेट" भी कहते हैं। साथ ही साथ मध्य प्रदेश से कई सारी नदियां जैसे नर्मदा,सोन,चंबल आदि नदियां निकलती है इस कारण इसे "नदियों का मायका" भी कहते हैं। मध्यप्रदेश में प्रत्येक वर्ष 01 नवंबर को राज्य का स्थापना दिवस मनाया जाता है वर्ष 2000 में  मध्य प्रदेश के दक्षिण पूर्व का लगभग 30% हिस्सा विभाजित होकर छत्तीसगढ़ के रूप में एक नया राज्य बन जाता है और भारत के 29वे राज्य के रूप में अस्तित्व में आता है। मध्य प्रदेश का वर्तमान स्वरूप 1 नवंबर 2000 से एक जैसा है मध्य प्रदेश में कुल जिलों की संख्या 52 है।


(1) मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार इस प्रकार है
   21°6' उत्तरी अक्षांक्ष से  26°30' उत्तरी अक्षांक्ष तक है। 
   74°59' पूर्व  देशांतर से   82°66' पूर्व  देशांतर तक  है। 
(2) मध्यप्रदेश का राजकीय पशु - बारहसिंघा (प्रजाति -ब्रैडरी)
(3) मध्य प्रदेश का राजकीय पक्षी - दूधराज या शाही बुलबुल या           पैराडाइज फ्लाई कैचर (साइंटिफिक नेम)।
(4) मध्य प्रदेश का राजकीय फूल -लिली
Note- मध्य प्रदेश के राजकीय पशु, पक्षी और फूल को 1 नवंबर 1981 को मध्य प्रदेश के  25वीं स्थापना वर्षगांठ पर राजकीय चिन्ह के रूप में अपनाया गया था।
(5) मध्यप्रदेश का राजकीय खेल- मलखंब
(6)मध्य प्रदेश का राजकीय वृक्ष- बरगद वृक्ष(बट व्रक्ष)
(7) मध्य प्रदेश की राजकीय फसल -सोयाबीन
(8) मध्यप्रदेश का राजकीय  नृत्य- राई
(9) मध्यप्रदेश का   राजकीय नाट्य -मांच
(10) मध्य प्रदेश की राजकीय भाषा- हिंदी
(11)मध्यप्रदेश का राजकीय गान- " मेरा मध्य प्रदेश" ( रचनाकार- महेश श्रीवास्तव)
(12) कर्क रेखा मध्यप्रदेश के 14 जिलों से  होकर गुजरती है  वे जिले इस प्रकार हैं।  रतलाम ,उज्जैन ,आगर,राजगढ़,सीहोर,भोपाल, विदिशा, रायसेन ,सागर, दमोह  जबलपुर, कटनी ,उमरिया, शहडोल।
( इन 14 जिलों में पहले एक जिला शाजापुर था लेकिन शाजापुर के विभाजन से आगर जिला अलग हो गया जिस कारण अब कर्क रेखा शाजापुर की जगह आगर से गुजरती है)
(13) भारत की मध्यान रेखा 82°5' मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से होकर( स्पर्श करते) हुए गुजरती है
(14) मध्य प्रदेश का सबसे पूर्व का जिला- सिंगरौली।
(15) मध्य प्रदेश का सबसे पश्चिमी जिला- अलीराजपुर।
(16) मध्य प्रदेश  का सबसे उत्तरी जिला- मुरैना ।
(17) मध्य प्रदेश का सबसे दक्षिणी जिला- बुरहानपुर ।
(18) मध्य प्रदेश की पूर्व से पश्चिम की लंबाई- 870 किलोमीटर
(19) मध्य प्रदेश की उत्तर से दक्षिण तक की लंबाई-605 किलोमीटर
(20) मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिला- छिंदवाड़ा।
(21) मध्य प्रदेश का सबसे छोटा जिला- निमाड़ी।
(22) मध्य प्रदेश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला-इंदौर

(23) मध्य प्रदेश का सबसे कम जनसंख्या वाला जिला- हरदा

(24) मध्य प्रदेश की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का  6% है।

(25) मध्य प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से देश में पांचवें स्थान पर है

(26) मध्य प्रदेश  क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है

(27) मध्य प्रदेश की प्रथम जनगणना 1881 में हुई थी।

(28) मध्यप्रदेश में 2011 में 15वीं जनगणना हुई थी।

(29) मध्य प्रदेश की जनसंख्या में  2001 से 2011 के बीच     लगभग   20% वृद्धि हुई है।

(30) मध्यप्रदेश में प्रतिवर्ष 11 मई को जनसंख्या नियंत्रण दिवस मनाया जाता है।

(31) मध्य प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 236 है।

(32) मध्य प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व- भोपाल( 855)

(33) मध्य प्रदेश में न्यूनतम जनसंख्या घनत्व- डिंडोरी( 94)

(34) मध्य प्रदेश का लिंगानुपात- 931 (एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या)।

(35) मध्यप्रदेश में सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला- बालाघाट(1021)।

(36) मध्य प्रदेश में न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला -भिंड (837) ।

(37) मध्य प्रदेश की साक्षरता दर 69.32% हैं। इस में पुरुष साक्षरता 78.73% और महिला साक्षरता 59.2 % है।

(38) मध्य प्रदेश का सर्वाधिक साक्षर जिला -जबलपुर (81.1%)

(39) मध्य प्रदेश का न्यूनतम साक्षर जिला -अलीराजपुर (36.1%)

(40) मध्य प्रदेश की ग्रामीण साक्षरता दर 63.94 प्रतिशत है।

(41) मध्य प्रदेश की शहरी साक्षरता दर  82.85% है

(42) मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का 21.1% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति (ST)  की है।

(43) मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का 15.6% जनसंख्या अनुसूचित जाति(SC) का है।

(44) मध्यप्रदेश में सर्वाधिक शहरी जनसंख्या वाला जिला - भोपाल

(45) मध्य प्रदेश में न्यूनतम शहरी जनसंख्या वाला जिला- डिंडोरी

(46) सन 2013 में मंडला जिले के तारागढ़ में उज्जैन और  दिल्ली के जंतर मंतर से भी प्राचीन वेधशाला की खोज की गई है जिसका निर्माण बघेल वंशी राजा कर्ण देव ने कराया था।

(47) मध्यप्रदेश का मंदसौर नगर रावण की पत्नी महारानी मंदोदरी का मायका है।

(48) मध्य प्रदेश में प्रथम नहर का निर्माण सन 1923 में बालाघाट जिले में बेनगंगा नामक नहर बनाई गई थी।

(49) मध्यप्रदेश में खेल सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए ऑपरेशन प्लेफील्ड चलाया  गया था।

(50) भोपाल गैस कांड 2-3 दिसंबर 1984 में हुआ था। इसमें फैली हुई गैस को समाप्त करने के लिए सरकार ने ऑपरेशन फेथ चलाया था।

(51) मध्य प्रदेश की विश्व प्रसिद्ध चंदेरी साड़ी अब केवल चंदेरी में ही बनेगी। क्योंकि मध्य प्रदेश में इस साड़ी का पेटेंट करा लिया है। जो प्रदेश में इस तरह का पहला पेटेंट है।

(52) मध्य प्रदेश का प्रथम पर्यावरण न्यायालय भोपाल में बना।

(53) मध्यप्रदेश के भोपाल जिलें में न केवल मध्य प्रदेश राज्य की बल्कि पूरे एशिया की सबसे बड़ी जिला अदालत है।

(54) मध्यप्रदेश में मानव अधिकार आयोग का गठन 13 दिसंबर 1995 को हुआ इसका मुख्यालय भोपाल है।

(55) मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना 1995 में हुई।

(56) मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 1993 में हुआ था     29 जून 1995 में वैधानिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम का दर्जा प्राप्त हुआ।

(57) मध्यप्रदेश में महिला आयोग का गठन 23 मार्च 1998 को हुआ।

(58) मध्यप्रदेश में दो मेंटल हॉस्पिटल हैं  इंदौर और ग्वालियर।

(59) मध्य प्रदेश के मोहद( नरसिंहपुर ) के लोग संस्कृत भाषी हैं जहां समस्त निवासी की बातचीत संस्कृत में ही  होती है।

(60) मध्यप्रदेश में देश की सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति के लोग पाए जाते हैं
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मध्यप्रदेश के संभाग व मध्य प्रदेश की अंतर राज्य सीमा( इंटर स्टेट बाउंड्री ऑफ़ मध्य प्रदेश)

मध्यप्रदेश के संभाग नमस्कार दोस्तों आज हम मध्य प्रदेश के सभी संभागों का अध्ययन करेंगे तथा इसके अंतर्गत आने वाले जिलों के बारे में भी चर्...