Thursday, June 27, 2019

ये हवायें........


                                 ये हवायें



   "क्या राज है इन हवाऔं में, जो मुझे हर बार अपना।     दिवाना बना लेती है ।
         शायद कुछ तो बात है इन में, जो हर बार अपना अहसास दिला देती हैं।
        पूंछना चहता हूँ उन हवाओं से, क्या रिश्ता है मेरा और तुम्हारा ।
       वो सिर पर ठण्डा सा झोका देकर, माँ होने का आभास करा जाती है। "....................

   "क्या अजीब सा राज है इन हवाओं में, जो अपने साथ बारिश की बूँदे ले आती हैं।
         खुद गीला होती हैं, और हमें भी गीला कर जाती हैं।
करवा के ठण्डक का अहसास हमें, खुद चुपचाप बैठ जाती है।
मिट्टी पर गिरी बारिश की बूँदे से मिट्टी की खुशबू को तू ही हम तक लाती है।
कभी तू अपनी मस्त अदा से लोगों का दिल जीत लेती है, तो कभी अपने रोद्र रूप से, लोगों के घरो को तोड़ देती हैं।
हर मौसम में तू अपना अलग ही रूप दिखाती है।
   बारिश में तू ठण्डी का झोका बनकर आती है। तो गर्मी में आग के थपेडो से हमें जलाती हैं।
ये हवा तेरी हर बात निराली है। क्या तू इस बार फिर से बदलने  वाली है। ".....................     

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