Monday, July 1, 2019

एक मुलाकात......गरीबी से अमीरी तक

             एक मुलाकात......गरीबी से अमीरी तक

 आज बड़े दिनों बाद वो याद फिर से आ गई जो कभी एक बार मुझसे बस यह कह कर  मिली थी कि क्या आपके पास थोड़ी सी जगह है जहां मैं बैठ सकती हूं........
                                           बात उन दिनों की है जब मैं जॉब के लिए  पुणे जा रहा था शायद यह कुदरत का ही कुछ करिश्मा होगा कि ट्रेन में पूरा कम्पार्टमेंट भरा होने के बाद भी मेरी  वाली बर्थ और मैं अकेला था और सभी बर्थ पर जरूरत से ज्यादा लोग बैठे हुए थे तभी  पीछे से आवाज आती है  क्षमा कीजिए क्या आपके पास थोड़ी सी जगह है जहां मैं बैठ सकती हूं पीछे मुड़कर देखता हूं तो एक  घुंघराले बाल वाली, बड़ी बड़ी आंखों वाली, गोल से चेहरे की, एक लड़की बड़ी मासूम से आवाज से मुझे अपनी सीट पर बैठने के लिए रिक्वेस्ट कर रही है कुछ देर और उसकी आंखों में देखने के बाद वह दोबारा से  कहती है क्या मैं यहां बैठ सकती हूं ट्रेन में कंपार्टमेंट की हालत देखकर और उस लड़की की बात को सुनकर मैंने उसे अपनी बर्थ पर बैठने के लिए बोल दिया शायद यह एक इशारा ही था। कि कोई मुझे उससे मिलाना चाहता था। कुछ देर शांत रहने के बाद जब ट्रेन में टीटी टिकट चेक करने के लिए आता है तब मैं खुद थोड़ी देर के लिए असमंजस में हो जाता हूं। क्योंकि मैं खुद ही दूसरे की सीट पर बैठा हुआ था। मैं अपने वेटिंग टिकट के साथ थर्ड एसी में  बैठा था। और अपने वेटिंग टिकट को ढूंढ रहा था। लड़की मुझे बहुत ही अजीब तरह से देख रही थी। टीटी के आने पर उसे अपना वेटिंग टिकट  दिखाने पर वह मुझे  अगले कंपार्टमेंट में  जाने के लिए बोलता है,और  लड़की की ओर देखते हुए  उसे टिकट दिखाने की बात करता है। लड़की उसे एक पेपर का टुकड़ा दिखाकर शांत बैठ जाती है। टीटी के वहां से जाने के बाद,मैं टीटी को काफी देर तक पलट पलट कर देखता रहता हूं। कि कहीं वो फिर से आकर मुझे इस बर्थ से  हटा ना दे। टीटी के जाने के बाद  जब  वह काफी देर तक दिखाई नहीं देता है तो चैन की सांस लेते हुए लड़की की ओर देखता हूं। और बड़े आराम के साथ उसकी नजरों में नजरें मिलाकर उसे बिना टिकट के, उस कागज के टुकड़े मात्र  को जानने की कोशिश करता हूं जिसे देख कर टीटी  बिना किसी सवाल जवाब के उसे  बैठने की मंजूरी  देता है और वहां से चला जाता है।  पहली बार में मुझे अनसुना करके वह लड़की अपने आप में व्यस्त होने  का एहसास कराती है मेरे दोबारा पूछने पर जवाब देती है कि यह कागज का टुकड़ा नहीं, ट्रेन का  पास है। क्योंकि मेरे पापा रेलवे में जॉब करते हैं इसलिए मेरी पूरी फैमिली बिना टिकट के केवल पास के मदद से कहीं भी यात्रा कर सकती है। यह कहकर वह लड़की चुप हो जाती है।
                                       बहुत देर तक उसे देखने के बाद,  कई बार बात करने की कोशिश करने के बाद भी कोई बात लम्बी  नहीं हो पा रही थी। हर बार बात सुरू होते ही खत्म हो रही थी।   आखिर बड़ी देर बाद वह मौका आ गया जब हमारी बात आखिरकार शुरू हो ही गई। शुक्र है उस समोसे वाले का जिसके समोसे तो हमने नहीं खाए लेकिन वह हमारी बात शुरू करने में  एक पुल का काम जरुर कर गया।  आखिर उसने अपना मुंह खोलना शुरू कर ही दिया और इस तरीके से अपना मुंह बना रही थी,समोसा को देखकर, जैसे यह समोसे ही उसके सबसे बड़े दुश्मन हो। क्या गुजर रही होगी उस समोसे वाले पर, जो वह समोसे उसके सामने लेकर आया। लेकिन शुक्र है कम से कम मेरी और उसकी बात तो शुरू हुई।
             वह समोसे वाले को देख कर मेरी ओर देखते हुए कहती है। यह लोग कितने गंदे तरीके से समोसे बनाते हैं। यह लोग साफ सफाई का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते। ऐसे गंदे समोसे, इन लोगों के नहीं खाने चाहिए। उसकी बातों को गौर से सुनते हुए मैंने भी उसे यह बोल दिया, कि अगर वह यह समोसा बेचना भी बंद कर दे तो क्या उसकी बीवी बच्चों का खर्च आप जैसे लोग उठाएंगे।मेरी बात सुनकर वह गुस्से में आंखें बड़ी करते हुए मेरी ओर देखती है,लेकिन अंदर ही अंदर गुस्सा करके चुप हो जाती है। और  थोड़ी देर बाद बोलती है, कि अगर इन्हें समोसा बेचना है। तो साफ सफाई का ध्यान क्यों नहीं रखते, यह लोगों की सेहत के साथ खेलते हैं। तब मैंने कहा वह गरीब आदमी है, उसे जो सफाई पसंद है वह  उसी के हिसाब से सफाई रखता है।
                     यह तो समोसा ही था जिसने हमारी आखिर बात शुरू करवाई।धन्य हो उस समोसे का। एक  लंबी बहस होने के बाद आखिर में वह बोलती है, ठीक है चलो एक एक समोसा खाते हैं। शायद किसी ने सच ही कहा है कि किसी के पेट में उतरना है तो खाने के साथ मीठा परोस दो ।शायद यह बात मेरे लिए उस दिन पूरी तरीके से सही साबित हुई। लड़की धीरे धीरे मुझसे और मैं उससे बात करता चला गया।हमारे बीच हल्का फुल्का मजाक शुरु हो गया था।   

             लेकिन  शायद किसी को हमारा इस तरीके से हंसी मजाक करना अच्छा नहीं लग रहा था इसीलिए तो ,पीछे से आवाज आती है,भैया यह सीट मेरी है क्या आप मेरी सीट से उठेंगे। थोड़ी देर उस आदमी को देखने के बाद यह सोचता हूं। की अब क्या होगा ,मेरी सीट तो गई ।और  उस लड़की को देखते हुए अपना सामान उठाकर आगे की ओर बढ़ता हूँ। तभी आवाज आती हैं।
हैलौ,आपका मोबाइल यहीं रह गया है। ये आवाज उसी लडकी की थी। पलट कर देखता हूँ तो वह लड़की मेरी ओर तेजी से आ रही होती है। पास आकर मुझे मोबाइल फोन देते हुए, "थोड़ा धमकाते हुए अंदाज में कहती हैं।कि कैसे आदमी हो यार, अपने मोबाइल का भी ख्याल नहीं रखते",अगर मैं नहीं होती तब तो तुम्हारा मोबाइल गायब  ही था ।और यह कह कर, वो भी मेरे साथ ट्रेंन में आगे चलने लगती है। और फोन पर अपने पापा से बात करने के बाद बोलती है कि अगले डिब्बे में एक सीट खाली है। मैंने अपने अपने पापा से पता करवाया है,यह बोलते हुए मुझे आगे की ओर आने का इशारा करती हैं। "मरता क्या न करता "।सीट की तलाश में उसके पीछे जा रहा था। आखिर थोड़ा चलने के बाद एक सीट खाली मिल जाती है। और हम दोनों उस सीट पर बैठ जाते। कुछ ही देर बाद हम दोनों के बीच बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
                                  सफर भी धीरे-धीरे अपने अंतिम क्षणों में आ रहा था जैसे-जैसे हमारी मंजिलें आ रही थी वैसे वैसे ही हम दोनों के बीच बातों में गहराई आती जा रही थी वह  मुझसे ऐसे बात कर रही थी जैसे कई बरसों से दोस्ती हो।लेकिन हमारी अभी तक कोई भी दोस्ती की बात नहीं हुई थी हम सिर्फ दो अनजान लोगों की तरह जाना  पहचाना व्यवहार कर रहे थे। और बार-बार यही सोच रहा था की ट्रेन से उतरने के बाद शायद इस लड़की से दोबारा मुलाकात नहीं होगी इस बात के डर से,मैं उससे ज्यादा से ज्यादा बातें करना  चाह रहा था लड़की भी बात करने में बहुत सहज महसूस करने लगी थी शायद यह  वही मौका था कि मैं उससे दोस्ती के  लिए बोलूं।  तभी मैं उसे दोस्ती के लिए बोलता हूं वह कुछ देर मेरी ओर देखती है और बोलती है कि हमारी बात ही क्या हुई है कि तुम मुझसे दोस्ती करना चाहते हो। अभी तक तो हमें एक दूसरे के नाम तक पता नहीं है और तुम दोस्ती की बात कर रहे हो। कुछ देर शांत रहने के बाद मैं  उससे उसका नाम पूछता हूं वह अपना नाम दीप बताती है और मुझसे अपना नाम बताने के लिए कहती है। मैं अपना नाम रवि बता देता हूं। धीरे धीरे बातें और बढ़ती हैं और हम एक दूसरे  को अपना अपना मोबाइल नंबर बांट देते हैं।
                                   मैं पुणे पहुंचने वाला  ही था कि  अचानक दीप बोलती है कि मैं जा रही हूं मेरा स्टेशन आ गया है  मन में ऐसा लग रहा था जैसे कोई  क्षण भर के लिए खुशी  देने के लिए आया  हो। और खुशी देकर जा रहा हो। मैं उस खुशी को साथ  रखना चाहता था इसीलिए मैं उससे दोबारा मिलने की ख्वाहिश रखता हूं। दीप बोलती है मैं पुणे में  पढ़ाई करती हूं,अभी मैं अपने नाना के यहां से आ रही हूं। मेरा घर अहमदनगर में पड़ता है मैं छुट्टियां बिताने के बाद  पुणे आऊंगी वहां हमारी मुलाकात हो सकती है। और यह कहते हुए वह ट्रेन से उतर जाती है  और  वह पलट कर तक नहीं देखती है। काफी देर तक उसे पीछे देखने के बाद जब वह नहीं दिखाई देती है तब मैं सब छोड़ के बस अपनी जॉब के लिए सोचना शुरू कर देता हूं और अपने इंटरव्यू के बारे में तैयारी की सोचता हूं ।आखिरकार मेरा स्टेशन पुणे आ जाता है और मैं भी अपने जॉब इंटरव्यू के लिए निकल पड़ता हूं
                                 मेरा इंटरव्यू भी बहुत बढ़िया जाता है मैं दीप को  अपनी जॉब लगने के लिए फोन करता हूं लेकिन उसका  नंबर स्विच ऑफ जाता है। मैं उसके नंबर पर एक मैसेज भेज कर अपने रूम के लिए चला जाता हूं।
मेरा दीप को  फोन करने की वजह मुझे  जाॅब मिलने के बारे में बताने  से ज्यादा  मेरा जॉब पुणे में ना होकर कोलकाता में मिलना था और मुझे अगले दिन ही कोलकाता के लिए निकलना था मुझे लग रहा था कि शायद  अब  हमारी  मुलाकात नहीं होगी । कई बार दीप को फोन करने के बाद  भी हर बार उसका नंबर बंद आया। और अगले दिन मैं कोलकाता के लिए निकल जाता हूं।
                          कोलकाता पहुंच कर मैं अपने जाॅब के काम में व्यस्त हो जाता हूँ ।मेरा पुराना नम्बर भी बंद हो जाता है ।मेरे दिमाग से दीप का नाम निकलता जा रहा था। मैं अपने नये दोस्तो के साथ घूमना फिरना, मौज मस्ती करने लगता हूँ। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा होता है कि एक दिन मेरी फेसबुक पर दीप की फ्रेंड रिक्वेश्ट आती है।
रिक्वेश्ट एक्सेप्ट करने के बाद एक बार फिर से दीप से  बात चीत का सिलसिला शुरू हो जाता है ।अब हम दोनों एक दूसरे से रोज बात करते,अपने दिन भर की बातें एक दूसरे को बताते। पूरे दिन भर की थकावट उससे बात मात्र करने से दूर हो जाती थी। एक दिन मेरे आफिस में मुझे पुणे जाने को कहा,पुणे जाने की बात सुन कर मेरे मन में एक नयी खुशी की लहर दौड जाती है। और मैं दीप को बिना बताऐ उसे सरप्राइज देने के लिए पुणे के लिए निकल पड़ता हूँ।
            मैं , ट्रेन से पुणे देर रात को पहुंचता हूँ। और अपने एक पुणे के नए दोस्त के फ्लेट पर जाने के लिए टैक्सी लेता हूँ। और दोस्त के फ्लेट पर पहुँचता हूँ। फ्लेट पर पहुंच कर दरवाजे की घण्टी बजाता हूँ। थोड़ी देर बाद दोस्त दरवाजा खोलता है। मुझे दरवाजे पर देख मेरा दोस्त थोड़ी देर के लिए असमंजस में आ जाता है। और जल्दी से मुझे अंदर कमरे में ले जाता है। और बोलता है कि तू बता के क्यों नहीं आया। आज मेंरी गर्ल फ्रेड मेरे फ्लेट पर आई है पूरी रात के लिए। मैं अपने दोस्त की बातो को अच्छे से समझ रहा था। कि उसका और उसकी गर्ल फ्रेड का क्या मामला है। और मैं भी उस दोस्त को यह बोल कर कि अपनी गर्लफ्रेंड से मुलाकात करवा दे,और मैं बाहर घूम के आता हूँ। तू मजे कर ले। और इसके साथ ही वह दोस्त मुझे अपनी गर्लफ्रेंड से मुलाकात कराने के लिए दूसरे कमरे में ले जाता। जैसे ही मैं कमरे में घुसता हूँ। तो सामने खडी अधनंगे कपड़ों में उसकी गर्लफ्रेंड को देखकर मुझे मेरी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह लड़की कोई और नही बल्कि मेरे कोलकाता के बाॅस की पत्नी हैं। जिसे लेने के लिए बाॅस ने मुझे पुणे भेजा था।
                                 देखकर बाॅस की पत्नी को अपने दोस्त के साथ,मै चुपचाप बाहर चला जाता हूँ। कुछ देर बाद सुबह हो जाती है ।और मैं दीप को फोन करके उसके काॅलेज में मिल कर सरप्राइज देने की बात करता हूँ। दोस्त के फ्लेट पर तैयार हो कर दीप के काॅलेज पहुंचा। तो क्या देखता हूँ ।कि दीप सामने से मस्त कपड़ों में, उसी लड़की के साथ आ रही है जो मेरे कोलकाता वाले बाॅस की पत्नी और मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड है। मुझे काॅलेज मे देख कर जितना हैरान दीप नहीं थी उससे कहीं ज्यादा हैरान वो बाॅस की पत्नी थी। मैं अपनी जेब से अंगूठी निकाल कर दीप को पहना कर उसे प्रपोज कर देता हूँ। दीप भी मेरे प्रपोज को स्वीकार कर लेती है। लेकिन तभी वो बाॅस की पत्नी बीच में  दीप को पीछे खींचते हुए बोलती हैं कि कौन हो तुम और क्या औकात है तुम्हारी। जो तुम मेरी बहन को प्रपोज कर रहें हो (चूँकि मैं कम्पनी में नया और छोटा कर्मचारी होता हूँ।...मन में सोचता हूँ।) मैं बोलता हूं कि मैं आपके पति की कोलकाता वाली कम्पनी का सीईओ हूँ। मेरा नाम रवि है। और मैं बाॅस के कहने पर आपको लेने आया हूँ। मेरी ये बात सुनकर दीप और उसकी बहन(बाॅस की पत्नी) दोनों लोग हैरान  रह जाते है। और हैरानी भरी आँखों से दीप मेरी ओर देखते हुए मुझसे पूँछती हैं। कि  रवि,तुम तो बोल रहे थे कि तुम तो कम्पनी में एक छोटे से कर्मचारी हो। तब मैं उसकी बहन को देखते हुए बोलता हूं कि जैसे ही मै आप की बहन को कोलकाता में बाॅस के पास ले जाऊँगा ,तो बाॅस मेरे काम से खुश होकर मुझे सीईओ बना देंगे।इतना सुन कर ,दीप खुश हो कर मुझे गले लगा लेती है। और अपनी बहन के पुणे वाले फ्लेट पर चलने के लिए बोलती है। चलते चलते मैं उसकी बहन के कान में बोल देता हूँ। कि मैने अभी जो भी  बोला था सब झूठ हैं। लेकिन अब आप को ये झूठ को हकीकत बनाना है। (दीप की बहन मुझे घूरते हुए ) । अगले दिन ही मैं और दीप की  बहन कोलकाता के लिए निकल जाते हैं। और कोलकाता पहुँच कर वही होता है जैसा कि दीप की बहन को बोला था ।मै कम्पनी का नया सीईओ बन जाता हूँ।
                                      अब मेरी सारी गरीबी की स्थिति दूर हो चुकी थी। आज मेरी दीप के साथ सगाई हो चुकी हैं ।आज भी  मुझे वो मुलाकात याद है जिसने मुझ जैसे छोटे  से कर्मचारी को एक कम्पनी का सीईओ बना दिया। और दीप के साथ हुई पहली मुलाकात को याद करता हूँ।
                     वाह क्या मुलाकात थी 😀😀😀😀







                     
                             



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