Thursday, July 4, 2019

रोजगार .....एक सलाह

                    रोजगार .....एक सलाह


एक बार की बात है। मैं बडे दिनो बाद गाँव जा रहा होता हूँ। गाँव के दोस्तों के साथ मिले हुऐ भी बहुत दिन हो गए थे। गाँव के सभी रिश्तेदार अक्सर मुझसे गाँव न आ पाने के लिए शिकायत किया करते थे। गाँव में सभी लोग मुझे शहरिया बाबू कह के बुलाते थे। गाँव की बातों और गाँव के लोगों के बारे मे सोचते हुए मैं अपनी कार से गाना गुनगुनाते हुए चला जा रहा था। काफी देर तक कार चलाने की वजह से थोडी थकावट होने लगी और  थोड़ा चाय पानी करने के लिए  एक ढाबे पर कार को  रोका।

ढाबे वाले के यहां पर लोगों की भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था। जैसे सारा का सारा खाने का ठेका इसी ने ले रखा हो। काफी देर के बाद मेरा भी नंबर आता है।  और ढाबा वाले के यहां पर चाय नाश्ता करने के बाद थोड़ा ही आगे चलता हूं। कि देखता हूं,कि एक लड़का मेरी गाड़ी को रोकने के लिए इशारा करता है। मैं अपनी गाड़ी थोड़ा आगे जाकर  रोकता हूं। लड़का दौड़कर मेरी गाड़ी के पास आता है और मुझे प्रार्थना करता है कि उसकी एक बहन बहुत बीमार है। उसे आगे कुछ दूर हॉस्पिटल तक लेकर चलना है। क्या आप मेरी मदद करेंगे। मैं उसकी ओर देखकर उसको, उसकी बहन के साथ आने के लिए बोलता हूं। उसकी बहन को गाड़ी में पीछे बिठाकर लड़का मेरे बगल वाली सीट पर बैठ जाता है।और हम लोग आगे की ओर चल देते हैं। रास्ते में चलते चलते मैं उस लड़के से उसके बारे में जानने की कोशिश करता हूं।और कहता हूं कि तुम क्या करते हो और तुम्हारे घर में कौन-कौन है। लड़का जवाब देता है, मैं कुछ नहीं करता हूं। मैं बेरोजगार हूं। मेरे पिताजी बहुत बीमार रहते हैं और थोड़ा बूढ़े भी हैं मेरी मां भी बुढी़ है। मेरे घर में दो और छोटी-छोटी बहने हैं। उन सभी की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। मैं अक्सर मजदूरी का काम करता हूं, लेकिन अभी कुछ दिनों से मजदूरी ना मिलने की वजह से मेरे घर के हालात खराब है। मेरी बहन काफी दिनों से  बीमार है।लेकिन पैसों की तंगी की वजह से मैं इसे  अस्पताल नहीं लेकर आ पाया। कल जब मुझे कुछ मजदूरी मिली, तब कुछ पैसे आने  से, आज मैं इसे अस्पताल में दिखाने जा रहा हूं। धन्य हो आपका कि आपने मुझे अस्पताल तक छोड़ने की कृपा की। मैं आपके अगर कभी भी कोई भी काम आ सका तो मेरे लिए बहुत अच्छा होगा। मैं उसकी बातों को बड़े गौर से सुन रहा था तभी मुझे मोदी जी की बेरोजगार हो तो पकौड़े तलो।  वाली बात याद आती है। और मैं उसे  कुछ बातें बताता हूं। और अस्पताल के सामने समोसे और पकोड़े का धंधा खोलने का विचार देता हूं। यह सब बातें करते करते अस्पताल आ चुका होता है। मैं उस लड़के को उसकी बहन के साथ अस्पताल तक छोड़ कर अपने गांव की ओर चला जाता हूं। मैं गांव के नजदीक पहुंचने वाला ही था,कि रास्ते में मुझे मेरे ही  गांव की एक लड़की दिखाई देती है। जो अपने पिताजी के साथ सड़क पर पैदल जा रही होती है। मैं गाड़ी को थोड़ा किनारे पर लगा कर उन्हें अपने पास बुला कर गाड़ी में बैठने के लिए बोलता हूं।  वह लड़की और कोई नहीं मेरे चाचा की लड़की तथा वह आदमी और कोई नहीं बल्कि मेरे चाचा ही थे ।काफी दिनों बाद मिलने की वजह से पहली बार मे पहचानने में थोड़ा सा असमंजस रहा । और फिर  हम लोग आपस में बात करते हुए गाँव के बिलकुल नजदीक पहुंचने वाले होते हैं। चाचा मुझसे बहुत शिकायते गिनाते चले जा रहे थे। गाँव पहुंचने पर जैसे ही लोग देखते हैं कि मैं आया हूँ। लोग भीड लगा कर खडे हो जाते हैं।और मेरे आने के बारे में पूँछते है। तभी सामने से चाचा की लड़की(पिन्की) दौडती हुई आती हैं। और  घबराते हुए मेरी कार के अंदर इधर उधर ताक झांक करती है और घबरा कर जोर से चिल्लाकर बोलती है कि मेरा सोने की चीज से भरा बैग कार में नहीं है। पिंकी को चिल्लाता हुआ देख वहां खड़े सारे लोग एकदम से हैरान रह जाते हैं। और पिंकी के बैग को  ढूंढने की सब लोग मिलकर कोशिश करते हैं। काफी देर ढूंढने के बाद जब बैग नहीं मिलता है। तब पिंकी रोते हुए घर जाती है तभी थोड़ी देर बाद चंदन( पिंकी का भाई )वहां पहुंचता है और पिंकी  को रोता हुआ देख उसके रोने का  कारण पूछता है।पिंकी रोते हुए जवाब देती है कि मैं भैया की कार से आई थी, जब मैं यहां उतरकर आ रही थी तब मेरा बैग गाड़ी में ही रह गया था और जब मैं वापस गाड़ी में देखती हूं । तो वह बैग वहां नहीं होता है।चंदन यह बातें बड़े गौर से सुन रहा होता है।  चंदन को यह समझने में ज्यादा देर नहीं लगी।कि उसने गाड़ी से जो बैग चुराया है वह किसी और का नहीं बल्कि उसकी ही बहन का था।  चंदन वहां से दौड़ता हुआ अपने सहयोगी मित्र के पास पहुंचता है। और उसे  सारी बात बता कर उस दिए हुए बैग को सही सलामत वापस मांगने की बात कहता है।  चंदन का दोस्त उसे बैग वापस कर देता है। चंदन बैग लेकर अपनी बहन पिंकी को दे देता है। पिंकी जब बैग चेक करती है तो वह पाती है कि उसकी दो सोने की चेन ,दो अंगूठी, उस बैग से गायब हैं  पिंकी समझ नहीं पा रही थी । कि वह  बैग मिलने की खुशी में खुश हो या सोने की चेन और अंगूठी के गायब होने पर दुखी हो। 
            थोड़ी देर में चंदन फिर से ,वहां से दौड़ते हुए अपने सहयोगी मित्र  के पास पहुंचता है, और उससे अंगूठी और चैन मांगने की बात करता है लेकिन उसके मना करने पर वह बार-बार अपने सहयोगी मित्र पर संदेह होने की वजह से उससे हाथापाई करने की कोशिश करता है।  थोड़ी ही देर में वाह खड़े हुए सभी लोगों को यह पता चल जाता है कि पिंकी का बैग किसी और ने नहीं चंदन ने ही चुराया था काफी देर तक यह सब होने के बाद शाम को चंदन को मैं अपने घर आने के लिए कहता हूं। चूँकि चंदन की पहले से ही बहुत बेज्जती हो चुकी थी, इसलिए वह आने से थोड़ा कतरा रहा था । क्योंकि वह मुझे लगभग 10 साल बाद मिल रहा था। चंदन शाम को मेरे घर आता है ।और मैं उसे चोरी छोड़ कर कुछ धंधा पानी करने की बात कहता हूं। और कहता हूं कि तुम अगर कुछ धंधा करना चाहो तो मैं तुम्हें कुछ  मदद कर सकता हूं । चंदन के कहने पर कि मैं  क्या धंधा कर सकता हूं। मैंने उसे कहा कि तुम एक लड़के के साथ मिलकर समोसा और पकौड़ा का धंधा करो मैं तुम्हारी पूरी मदद करूंगा। मेरे द्वारा समोसा और पकड़ो की बात सुनकर चंदन  मुंह बनाकर बोलता है, कि यह भी कोई धंधा होता है कि मैं  समोसा और पकोड़े बेचूँ। और वह मुझे यह बोलकर कि आप अपना काम करो। मैं अपना काम कर रहा हूं,वहां से चला जाता है। अगले दिन  गांव में अपने सभी रिश्तेदारों से मिलने के बाद, मैं गांव को देखने के लिए निकल जाता हूं। गांव में बहुत कुछ बदला हुआ था। गांव के खलियान पूरी तरीके से ढक चुके थे। लोग गांव में पुराने खेलों को छोड़कर अपने अपने मोबाइलों पर गेम खेलने और  गाने सुनने, फिल्में देखने मैं अपना समय निकाला करते  थे।  गांव का माहौल बिल्कुल बदल चुका था आखिर पूरे गांव में घूमने के बाद अपने घर आता हूं। और सभी से मिलकर वापस बैंगलोर आने के लिए आज्ञा लेता हूं।सभी लोगों से मिलने के बाद मैं अपनी कार से वापस आ रहा होता हूं। तब रास्ते में  दोबारा उसी ढाबे के पास वही लड़का कुछ समोसे बेचते हुए दिखाई देता है।


 मैं उस लड़के के पास जाकर उसे उसके धंधे के लिए बधाई देता हूं ।और कहता हूं कि अपने इस धंधे को पूरी मेहनत और ईमानदारी से कर,कोई भी धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता केवल मेहनत ही सब कुछ करके दिखा सकती है और मैं उसे अपना विजिटिंग कार्ड देकर,यह कहते हुए कि कोई जरुरत हो तो सम्पर्क करना।और यह कह कर मै वहां से चल देता हूँ। 
                 काफी समय गुजरने के बाद एक दिन मैं  कुछ काम से अपने गांव आ रहा होता हूँ। तब रास्ते में उसी ढाबे पर अपनी गाड़ी रोकता हूं। जिस पर मैं पहले रोका था लेकिन इस बार क्या देखता हूं। कि उस ढाबे के सामने एक और रेस्टोरेंट बना होता है। मैं उस ढाबा को छोड़ कर सामने बने रेस्टोरेन्ट पर चाय नाश्ता करने के लिए जाता हूं ।और मैं क्या देखता हूं।
 कि इस  रेस्टोरेंट का जो मालिक है। वह वही लड़का है जो मुझे पहली बार अपनी बीमार बहन के साथ मिला था ।जैसे ही लड़का मुझे देखता है तो दौड़कर आता है और मेरे पैर छूकर मुझसे मेरा शुक्रिया अदा करता है।कि मैंने उसे रोजगार ढूंढने के तौर पर समोसे बनाने और पकोड़े तलने की बात कही। आज वह उस एरिया का सबसे अच्छा समोसे बनाने वाला है और दूर-दूर से लोग उसके यहां पर  नाश्ता पानी करने के लिए आते हैं उसका रेस्टोरेंट बहुत अच्छा चल रहा होता है।
                मैं उसे आगे इसी तरह अच्छे से मेहनत करते रहने की सलाह देकर अपने गांव की ओर चल देता हूं। गांव पहुंचने पर गांव वालों से मिल कर  अपना काम करने के बाद चंदन के बारे में जानने  की कोशिश करता हू।  तो पता चलता है।कि वह एक बहुत बड़ी चोरी के इल्जाम में जेल में बंद है।



 गांव में काम खत्म करने के बाद वापस बेंगलुरु आते समय मैं यही सोच रहा था ।कि मैंने एक ही सलाह 2 बेरोजगार लोगों को दी लेकिन एक बेरोजगार ने सलाह मानकर अपना रोजगार बना लिया और दूसरे में सलाह ठुकरा जेल  का रास्ता बना लिया।
                     धंधा कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता,बस लोगों की सोच और मेहनत ही है जो उस धंधे को बडा या छोटा बनाती हैं। इसलिए मेहनत करते रहना चाहिए। 

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