Wednesday, July 10, 2019

मेरी पत्नी....मेरा भरोसा

                     मेरी पत्नी....मेरा भरोसा

                   
                   
 आज मैं उसे पहली बार देखने जा रहा था।मै हमेशा अपने दोस्तों से एक सुंदर, सुशील और संस्कारी लड़की से शादी करने की बात करता था।लड़की को देखने जाते समय मेरे दिल में बहुत सारे सवाल उठ रहे थे, कि वह कैसी होगी। क्या वह मेरे लायक होगी। क्या मैं उसके लायक होऊंगा। क्या वह मुझे पसंद करेगी। क्या वो सुंदर होगी। क्या वह मुझे समझ पाएगी। इतने सारे सवालों के साथ मैं अपनी गाड़ी से अपनी होने वाली पत्नी को देखने के लिए मकबरे में जाता हूं। मेरा भाई मकबरे के दरवाजे पर मेरा इंतजार कर रहा था। जैसे ही मैं मकबरे के दरवाजे पर पहुंचता हूं।  मेरा भाई मुझे अंदर से आवाज लगाता है।और अपनी ओर आने का इशारा करता है।  मैं धीरे धीरे अपने भाई की ओर बढ़ रहा था। साथ ही वहां पर बैठे लोगों की ओर भी मेरा ध्यान जा रहा था। और मन ही मन यह सोचता जा रहा था,कि कहां है वह जिसे मैं देखने के लिए आया हूं। मैं भगवान से  मन ही मन यह प्रार्थना कर रहा था। कि जो भी हो बस अच्छी  हो। मैं अंदर से थोड़ा घबरा भी रहा था ।क्योंकि मैं पहली बार किसी लड़की को देखने जा रहा था,जो मेरी जीवनसंगिनी होगी। मुझे इतना डर किसी लड़की को  देख कर नहीं लगा था। जितना डर मुझे इस लड़की को देखने आने के लिए लग रहा था। पता नहीं ऐसा क्या हो रहा था। यह तो भगवान ही जाने। लेकिन जैसे ही मैं उस गार्डन में पहुंचता हूं।जहां पर सारे लोग बैठे हुए होते हैं। मेरी निगाहें उस लड़की को ढूंढने लगती हैं। कई सारी लड़कियों के बैठे होने के बावजूद भी मेरी निगाहें मेरी होने वाली पत्नी को ढूंढ लेती है।वो पीली साड़ी में, लंबी सी चोटी किए हुए, गोरे से चेहरे में, हल्की सी लाली के साथ, सिर झुकाए हुए,वहां पर बैठी थी ।शायद यह कुदरत का ही कुछ इशारा था,कि बिना किसी के बताए, मैं उसे पहचान गया था। जैसे ही मैं,सब लोगों के पास पहुंचता हूं।उस लड़की के घर वाले मुझे सम्मान की नजरों से देखते हैं। और मुझे नीचे बैठने के लिए कहते हैं।मैं लड़की के सामने बैठ जाता हूं।और लड़की के सिर ऊपर उठाने का इंतजार करता हूं।तभी उनमें से एक लड़की बोलती है। कि जीजू तो बहुत अच्छे हैं। यह बात सुनकर मेरी होने वाली पत्नी अपना  सिर ऊपर उठाती है।और उसकी नजरें मेरी नजरों से मिल जाती हैं। जैसे ही  हमारी नजरें मिलती हैं। मेरे दिल में एक अजीब सी घंटी बजना शुरू हो जाती है।और अंदर से एक आवाज आती है कि यह वही लड़की है जिसकी मुझे तलाश थी।मैं अक्सर जिस तरह की लड़की सोचा करता था। यह बिलकुल वैसी की वैसी ही थी। ऐसा लग रहा था। कि जैसे मेरा सपना सच हो गया हो।और भगवान ने मुझे वह लड़की दे  दी हो। यह बिल्कुल वैसी ही थी। मेरा मन अंदर से खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मुझे दुनिया की सारी दौलत मिल गई हो। और मेरी सारी ख्वाहिशें पूरी हो गई हो। मैं बहुत खुश था। 
                
                    तभी मेरी होने वाली साली बोलती है,कि दीदी से जो पूछना है,पूछ लीजिए। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं बस उसे बार-बार देखे जा रहा था और अंदर से घबराता भी जा रहा था।और सोच रहा था कि कुछ भी हो जाए मैं इसी लड़की से शादी करूंगा ।  तभी मेरी माँ मुझे  उस लड़की से  कुछ  पूँछने के लिए बोलती हैं।  लेकिन  मैं कुछ भी  पूछने की  हालत में नहीं लग रहा था।  मुझे समझ नहीं आ रहा था । कि मैं क्या पूँछू।  इतने सारे लोगों के बीच  मुझे खुद शर्म भी आ रही थी। तभी मेरी होने वाली साली बोलती है। कि शायद दोनों लोग शरमा रहे हैं। इन्हें थोड़ी देर  बात करने के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए। मैं अपनी होने वाली साली की ओर मुस्कुराते हुए देखता हूं। और अंदर ही अंदर  उसे  धन्यवाद भी देता हूं। कि कम से कम किसी ने तो मेरे दिल की बात समझी। आखिर मेरी माँ ने यह बात सुनकर, मुझे उस लड़की के साथ अकेले बात करने के लिए बोलती हैं। मेरे लिए जो कुछ भी हो रहा था। वह सपने से कम नहीं था।क्योंकि मैं लड़कियों के मामले में बहुत ही डरपोक किस्म का लड़का था।मैं और वह लड़की, दोनों लोग धीरे धीरे वहां से थोड़ा दूर दूसरे गार्डन में जाने लगे और वहां पर बने एक चबूतरे के पास जाकर खड़े हो गए हैं। मैं उस लड़की को चबूतरे पर बैठने के लिए बोलता हूं।चूँकि चबूतरा थोड़ा ऊंचा होता है। इसलिए मैं मन ही मन सोचता हूं कि यह चबूतरा तो ऊंचा है।और यह साड़ी पहने हुए हैं। यह चबूतरे पर कैसे बैठ पाएगी।मैं यह सोच ही रहा था। कि वह उछलकर चबूतरे पर बैठ जाती है। मैं उसे देख कर मन ही मन मुस्कुराने लगता हूं। वह भी मुझे देख कर हंसने लगती हैं।  हमारे बीच में बातें होने लगती हैं  हम एक दूसरे से अपने बारे में बातें  करने लगते हैं और एक दूसरे की पसंद नापसंद और एक दूसरे से और भी बहुत सारी बातें जानने की कोशिश करते हैं तभी मेरी सासू मां वहां आ जाती है, और बोलती है। कि क्या तुम्हें हमारी लड़की पसंद है। मेरे मुंह से तुरंत हाँ निकल जाता है और अपनी गर्दन हिलाते हुए अपनी खुशी का इजहार करता हूं। हम वापस वहीं सब लोगों के पास आ जाते हैं। और हम अपनी रजामंदी के बारे में बता देते है । सारे लोग खुश हो जाते हैं। और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।थोड़ी ही देर बाद हमारे अलग अलग जाने का समय आ गया था। वह अपने घर निकलने के लिए तैयार थी। मेरा मन कर रहा था कि मै थोड़ी देर और उससे बात कर लूँ। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। तभी मैं क्या देखता हूं कि जो लोग मुझे देखने के लिए आए थे उनकी गाड़ी बंद हो जाती है। और कई बार चालू करने के बाद भी चालू नहीं होती हैं। सभी लोग मेरी ओर देख रहे थे। तभी मेरी माँ मेरी होने वाली सासू मां से बोलती हैं कि अगर आप लोगों  की गाड़ी खराब हो गई है। तो आप श्याम के साथ चले जाओ। यह आपको घर तक छोड़ देगा।यह बात सुनकर मुझे मन ही मन खुशी होती है,और मेरी सालियां भी बहुत खुश हो जाती हैं।मैं अपनी होने वाली पत्नी को ,उसके साथ दो सालियों को लेकर उसके घर जाता हूं।और जैसे ही घर पहुंचता हूं। तो मेरी एक साली यह बोलकर मेरा नंबर ले लेती है कि आप अपना फोन नंबर मुझे दे दो,हम आपसे  थोड़ी बात कर लिया करेंगे। मैं अपना नम्बर दे देता हूँ ।
                                      मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर की ओर चल देता हूँ। शाम को मेरे फोन पर फोन आता है।यह फोन किसी और का नहीं,बल्कि मेरी होने वाली साली का था। वह मेरा हाल-चाल पूँछने के बाद वह फोन मेरी होने वाली पत्नी को दे देती है।हमारे बीच अक्सर बाते होने लगती है। और हम एक दूसरे को जानने की कोशिश करते रहते है।चूँकि मेरी होने वाली पत्नी उस समय लखनऊ में रहा करती थी।और मेरा ट्रांसफर भी कानपुर आ जाता है।
                 
                      
         मैं अक्सर समय निकाल कर अपनी होने वाली पत्नी से मिलने लखनऊ जाने लगा था। मैंने ये बात अपने घर मे किसी को नही बताई थी। हमारे बीच मुलाकातो का सिलसिला ऐसे चलता है ।जैसे हम गर्लफ्रेंड बाॅयफ्रेड हो। मेरे घर वाले हमारी सगाई की तारीख़ के बारे में मुझे बोलते हैं।और साल के अन्त मे सगाई करने की बात करते हैं 4-5महीना निकल जाने के बाद ,हमारी सगाई का दिन आ गया था। यहां हमारे घर पर चलने की तैयारी हो रही थी और  वहां मेरी होने वाली पत्नी के घर मे कुछ घटना हो जाती है उसके किसी रिश्तेदार की दुर्घटना हो जाती है मेरे होने वाले ससुर का मेरे पिताजी के पास फोन आता है और हम लोगो को आज आने के लिए मना करते हुए,ना आने का कारण बताते है ।पिताजी के द्वारा सगाई के लिए ना जाने की बात सुन कर मुझे बहुत बुरा लगता है और हमारी सगाई की तारीख़ और आगे बढ़ जाती है कुछ महिने का इंतजार और बढ जाता है। कुछ महिने बीतने के बाद दोबारा सगाई का दिन आता है। और फिर  हम लोग सगाई के लिए चलने की तैयारी करते हैं। और तभी पिताजी के फोन पर फोन आता है। फोन पर बात करने के बाद सगाई के लिये जाने से फिर से मना कर देते है।और कहते हैं कि अपने गाँव में जो बाबा थे वो अब नही रहे ।और अब हमे सगाई मे ना जा कर, गाँव जाना होगा। वहाँ मेरी होने वाली पत्नी के घर पे पूरी तैयारी हो चुकी थी। तभी मेरी माँ मेरी होने वाली सासु माँ को फोन करके सगाई ना करने की बात करती है और बोलती है कि तुम अपनी लड़की अपने पास रखो, पता नही क्या हो गया है कि जब भी सगाई की बात आती है तब तब कुछ ना हो जाता है। मुझे अपनी माँ की बातें अच्छी नहीं लग रही थी। और मैं अपनी माँ से बोलता हूँ कि मेरी सगाई इसी लडकी से होगी और शादी भी ।मेरी बात सुन कर मेरी माँ मुझे घूरते हुए देखती है। और मैं वहाँ से चला जाता हूँ। मुझे मेरी होने वाली पत्नी पर पूरा भरोसा था कि वही मेरे लिये सही जीवनसाथी हो सकती है। और मैं अपने घर वालो से दोबारा सगाई के लिये बोलता हूं। चूँकि वैसे तो मैं बहुत शर्माता था अपनी शादी की बात करते हुए। लेकिन जब से मेरी माँ ने सगाई ना करने की बात बोली थी।तब से मै शर्माना छोड़ देता हूं। आखिर मेरा भरोसा जीत जाता है और हमारी सगाई हो जाती है।
                 
                     
 मेरी माँ मुझ से गुस्सा रहने लगती है और मेरी भैया-भाभी को भी ये सगाई पसन्द नही थी मेरे घर मे सभी लोग मुझ से गुस्सा रहने लगते हैं और कुछ दिनो बाद हमारी शादी होती है शादी अच्छे से हो जाती हैं मेरी पत्नी मेरे घर के काम सिखने लगती है चूँकि मेरी शादी से घर के लोग ज्यादा खुश नही थे। वो बोलते थे कि ये लड़की सही नही है। लेकिन मेरा विश्वस मेरी पत्नी पर पूरा था। मैने अपनी पत्नी को मेरे घर वालो का अच्छे से ख्याल रखने की बात कही. धीरे धीरे मेरी पत्नी का खुश-मिजाज स्वभाव और उसके काम करने से सभी लोग खुश हो जाते है। वो हमेशा घर वालो को खुश रखने की कोशिश करती रहती थी। कई बार घर वालो के द्वारा उसकी बुराई सुनने के बाद भी मुझे उस पर बहुत भरोसा था आज मेरे भैया भाभी अलग अपने घर मे रह्ते है मेरी माँ और पिताजी काफ़ी बुढे हो गये है।आज उनकी हर जरूरत को मेरी पत्नी पूरा कर रही है। कई बार मैं बिना पूरी बात जाने उसे डांट देता था फिर भी वह खुद ही मुझ से माफी मांग लेती थी। आज मेरी पत्नी  मेरे माँ और पिताजी की सेवा करके उनका दिल जीत लेती है और मेरे माँ और पिताजी मेरी पत्नी की तारीफ़ करते हुए, मेरा मेरी पत्नी के लिये किये गये भरोसे की तरीफ़ करते है 
                 
                    
       और बोलते है कि हर आदमी को अपनी पत्नी पर पूरा भरोसा होना चाहिये। और पत्नी को भी अपने पति के भरोसे पर खरा उतरना चाहिये। ये जो रिश्ता है ये केबल विश्वास और भरोसे पर चलता है। इसमे जितना हम एक दूसरे की भावनाओ को समझते है। यह रिश्ता उतना ही गहरा होता चला जाता है।इसलिए कभी भी पति को अपनी पत्नी या पत्नी को अपने पति का भरोसा नही तोड़ना चहिये और जिंदगी भर साथ निभाना चाहिए ।



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